आई. एस. आई. द्वारा किए गए मुख्य ऑपरेशन
• मई 1979 ई. में सी. आई. ए. ने मुजाहिदीन नेताओं के साथ काम करना शुरू किया जिनका चयन आई. एस. आई. ने किया था। अमेरिका ने अफ में अपनी गुप्तचर एजेंसी सी. आई. ए. की बैठक, आई. एस. आई. की मदद से पेशावर में कराई। उनमें से एक गुलबुद्दीन हेक्मत्यार था जो इस का व्यापार था, तथा जो आई. एस. आई. के प्रति वफादार था। गुलबुद्दीन, भ्रष्ट, कमाई तथा अयोग्य था।
• सन् 1980 ई. में ओसामा बिन लादेन ने सऊदी इंटेलीजेंस तथा अफगानिस्तान के बीच बात कराने में मध्यस्थता की। जिसके द्वारा अफगान मुजाहिदीन को सऊदी अरब ने 540 लाख डॉलर की सहायता की जिससे मुजाहिदीन रूस के खिलाफ लड़ सके। इस प्रक्रिया में सी. आई. ए. व आई. एस. आई. दोनों का हाथ था।
• सन् 1982 में पाकिस्तान आई. एस. आई. ने अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ने के लिए अरब के कट्टरवादी तत्त्वों को भरती करना शुरू किया।
• सन् 1988-87 तक सी. आई. ए. ने आई. एस. आई. से गठजोड़ करके अफगान युद्ध का संचालन किया।
• सन् 1982-89 तक अमेरिका ने बी. सी. आई. तथा पाकिस्तान सरकार की ओर से ड्रग्स व्यापार में अपनी आँखें मूंद लीं।
● सन् 1984 में ओसामा बिन लादेन ने पाकिस्तान आई. एस. आई. तथा अफगान लड़ाकुओं से सम्बन्ध स्थापित किए।
• सन् 1984 तथा उसके बाद सी. आई. ए. ने आई. एस. आई. की मदद से
अफगान मुजाहिदीन को हथियार बाँटने शुरू किए। • सन् 1980 के मध्य से जनरल अब्दुल रहमान जो पाकिस्तान आई. एस. आई. के निदेशक रहे। ओसामा बिन लादेन से पेशावर में लगातार बात करते रहे।
• सन् 1985-86 में आई. एस. आई. अफगान लड़ाकुओं से युद्ध में खुश नहीं थी, अतः उसने अन्य इस्लामिक देशों से इस युद्ध में लड़ाकू उपलब्ध कराए।
• सन् 1986-92 तक अमेरिका सी. आई. ए. तथा ब्रिटेन ने आई.एस.आई. के सहयोग से विश्व के आतंकवादियों को अफगान युद्ध में सहायता की।
• सन् 1980 में ओसामा बिन लादेन, सी. आई. ए., आई. एस. आई. ने मिलकर फिलीपीन्स के आतंकवादी गुटों को प्रशिक्षण दिया।
● अक्टूबर 1990 में ओसामा बिन लोदन ने नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने में सहयोग दिया जिससे कि बेनजीर भुट्टो को हराया जा सके।
• सन् 1989 में आई. एस. आई. तथा ओसामा बिन लादेन पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या करने के आरोप लगाए गए।
• सन् 1992 से अक्टूबर 1993 तक अलकायदा ने सोमालिया में आतंकवादियों को प्रशिक्षण देकर अमेरिका के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार किया।
• सन् 1993 में पाकिस्तानी आतंकवादी लीडर सोमालिया की यात्रा पर गए जिससे ओसामा बिन लादेन के लड़ाकुओं की अमेरिका के विरुद्ध लड़ाई में मदद की जा सके।
• सन् 1993-94 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने तालिबान तथा कश्मीर उग्रवादियों को प्रोत्साहन दिया।
• सन् 1990 में ब्रिटेन, अमेरिका तथा पाकिस्तान ने मिलकर 200 ब्रिटिश मुस्लिमों को बोस्निया में लड़ने के लिए भेजा।
• अप्रैल 1993 में शईद शेख, जो ब्रिटिश नागरिक था तथा लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स का छात्र था, बोस्निया पहुँचा और हरकत-उल-अंसार उग्रवादी संगठन का गठन किया।
• जून 1993 से अक्टूबर 1994 तक शईद शेख का अलकायदा से अनेक बार सम्पर्क रहा।
• सन् 1994 तक अमेरिका ने कभी पाकिस्तान से यह नहीं कहा कि वह भारत मैं अपनी आतंकवादी गतिविधियों बंद करे।
• सन् 1994 से 1997 तक अमेरिका एवं पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिवान को सरकार बनाने में सहायता की।
• सन् 1994 में तालिबान ने आई. एस. आई. की मदद से अफगानिस्तान पर कब्जा किया।
•14 नवम्बर, 1994 को अलकायदा ने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की हत्या करने की योजना बनाई।
● नवम्बर 1994 से दिसम्बर 1999 शईद शेख पकड़ा गया तथा भारतीय जेल में बन्द रहा। जेल में रहते हुए यह आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर का साथी बन गया।
• सन् 1995 में तालिबान ने पाकिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्र में अपराधों को संगठित करना शुरू किया।
• जून 1996 में ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मिला।
• अगस्त 1996 को सी. आई. ए. जानती थी कि आई. एस. आई. ओसामा बिन लादेन को आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही है तथा उसके तालिवान से सम्बन्ध हैं।
● सन् 1996 के अंतिम दिनों में सी. आई. ए. ने अमेरिका को सूचना दी कि आई. एस. आई. तालिवान को हथियार उपलब्ध करा रही है।
• सन् 1996 का पाकिस्तान का आम चुनाव ओसामा विन लादेन द्वारा प्रभावित किया गया।
• मई 25-28, 1997 को सऊदी अरब, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात ने तालिबान सरकार को मान्यता प्रदान की।
• सन् 1998-2001 तक पाकिस्तानी आई. एस. आई. ने अलकायदा लीडर जुबिदा को संरक्षण प्रदान किया।
• 9 मार्च, 1998 को पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि उसने तालिबान को हथियार उपलब्ध कराये।
• 9 अगस्त, 1998 को तालिबान द्वारा उत्तर संयुक्त राजधानी (अफगानिस्तान) मजार-ए-शरीफ पर जीत हासिल की।
• मध्य अगस्त 1998 को राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने तालिबान, आई. एस. आई. एवं अलकायदा के सम्बन्धों की जानकारी प्राप्त कर उन्हें चेतावनी दी कि भारत में तनाव कम करें।
• 7 अगस्त, 1998 को केनिया तथा तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर बमबारी की गई जिसमें दो पाक नागरिक पकड़े गए।
• 20 अगस्त, 1998 को अमेरिका ने अलकायदा के अफगानिस्तान प्रशिक्षण केन्द्रों पर हमला किया। इसी दिन आई. एस. आई. ने ओसामा विन लादेन तथा तालिबान को अमेरिकी मिसाइल से सावधान रहने को कहा।
• सन् 1998 के अंत में अमेरिका द्वारा मिसाइल प्रहार ओसामा बिन लादेन के लिए असफल रहा।
• जुलाई 1999 में पता चला कि पाकिस्तान के पूर्व आई. एस. आई. निदेशक हामिद गुल ने तालिवान लीडर ओसामा विन लादेन को अमेरिकी मिसाइल के प्रहार की पूर्व में ही सूचना दे दी थी।
• 4 जुलाई, 1999 को राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को सार्वजनिक रूप से ओसामा बिन लादेन की मदद न करने की सलाह दी।
• 29 नवम्बर, 1999 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा कि आई. एस. आई. ने ड्रग्स व्यापार में लाखों डॉलर कमाये।
• 24 से 31 दिसम्बर, 1999 को इंडियन एयर लाइन के जहाज को अपहरण किया गया जिसमें 155 यात्री थे। इन यात्रियों को छोड़ने के लिए तीन आतंकवादी जो भारत की जेल में थे, छोड़ने को कहा गया जिनमें शईद शेख तथा मौलाना मसूद अजहर प्रमुख थे।
• 01 जनवरी, 2000 से सितम्बर 2000 तक शईद शेख व अजहर मसूद पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से आई. एस. आई. के संरक्षण में पाकिस्तान में सभाएँ करके भारत व अमेरिका के विरुद्ध आग उगलते रहे।
• 22 दिसम्बर, 2000 की रात दिल्ली के लाल किले में लश्कर-ए-तैयबा के एक जेहादी दस्ते ने घुसकर अंधाधुंध फायरिंग की जिसमें दो सुरक्षाकर्मी मारे गए।
• 17 मार्च, 2000 को ओसामा बिन लादेन के बारे में बताया गया कि वह बीमार है।
• 25 मार्च, 2000 को बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान का दौरा किया तथा पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को अलकायदा और आई. एस. आई. के बीच सम्बन्धों की चर्चा हुई।
• 25 मई, 2000 को पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने सार्वजनिक रूप से तालिबान की सहायता करने की घोषणा की।
• जून 2000 में सी. आई. ए. के निदेशक जॉर्ज टेनेट ने पाकिस्तान की यात्रा की तथा उन्हें बताया कि अलकायदा को इस्लामिक ट्रस्ट द्वारा धन की सहायता की जा रही थी।
• सितम्बर 2000 में आई. एस. आई. तथा अलकायदा ने तालिबान को आक्रमण करने में मदद की।
• 25 दिसम्बर, 2000 को श्रीनगर में एक आत्मघाती हमले में 10 व्यक्ति मारे गए।
• जनवरी से 10 सितम्बर, 2001 तक बुश प्रशासन (अमेरिका) ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अलकायदा से सम्बन्धित नई नीति की घोषणा की जिसे धीमी गति से आगे बढ़ाने के लिए निर्देश दिए।
• 19 जनवरी, 2001 को अमेरिका एवं पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के सम्बन्ध में ऑपरेशन चलाने का मन बनाया।
• 7 मार्च, 2001 को रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ओसामा बिन लादेन के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि अमेरिका लादेन का पता लगाने में असफल रहा।
• अप्रैल 2001 में पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक ए. क्यू. खान ने लश्कर-ए-तैयबा की सभा में मुख्य अतिथि बनकर उन्हें सम्बोधित किया तथा उनसे सम्मान प्राप्त किया। उनके साथ दूसरे पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक भी थे, जिनका नाम सुलतान बशीरुद्दीन महमूद था, जिन्होंने एक वर्ष पूर्व ओसामा बिन लादेन से वार्ता की थी।
• 30 अप्रैल, 2001 को अमेरिका में आतंकवाद पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें ओसामा बिन लादेन को केन्द्रित करते हुए कहा गया, जिसमें पाकिस्तान और तालिबान की आलोचना की गई लेकिन उन्हें दंड देने को नहीं कहा गया।
• 2001 जून में मानवाधिकार की रिपोर्ट में आई. एस. आई. को तालिबान की मदद करने में जिम्मेदार ठहराया।
• अगस्त से अक्टूबर 2001 में ब्रिटेन ने सईद शेख को पकड़ने के लिए भारत से सहायता माँगी।
• मध्य अगस्त 2001 में ओसामा बिन लादेन से पाकिस्तान के दो परमाणु वैज्ञानिक सुलतान वशीरुद्दीन महमूद तथा चौधरी अब्दुल मजीद मिले। उस समय अयेमन अल जवाहिरी भी उपस्थित था। उन्होंने परमाणु हथियार बनाने पर विचार-विमर्श किया।
10 सितम्बर, 2001 को आई. एस. आई. निदेशक को पता चला कि पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक अलकायदा की मदद कर रहे हैं जबकि अमेरिका की चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
• 22 अगस्त, 2001 को अमेरिका तथा पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन को पकड़ने अथवा मारने के विषय में वार्तालाप हुआ।
• आई. एस. आई. निदेशक (पाकिस्तान) ने वाशिंगटन की यात्रा की जिसमें क्या निर्णय लिया गया इसे गुप्त रखा गया लेकिन इतना तय था कि ओसामा बिन लादेन के बारे में वार्ता 9 सितम्बर, 2001 को हुई।
• 9 सितम्बर, 2001 को अफगानिस्तान की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले जनरल अहमद शाह मसूद की दो अलकायदा उग्रवादियों ने हत्या कर दी।
• 10 सितम्बर, 2001 को पाकिस्तान ने घायल ओसामा बिन लादेन को मेडिकल सहायता देकर उसकी सुरक्षा की।
• 11 सितम्बर, 2001 से पहले अमेरिकी सरकार तालिवान और पाकिस्तान, सऊदी के सम्बन्धों की विस्तार से जानकारी रखती थी लेकिन कुछ नहीं कर पाई और विश्व व्यापार संगठन (अमेरिका) पर आक्रमण हो गया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने लीबिया को परमाणु तकनीक बेच दी, इसकी जानकारी होते हुए भी अमेरिका ने कुछ नहीं किया।
• 12 सितम्बर, 2001 को अमेरिका ने पाकिस्तान को बम के बारे में धमकी देते हुए कहा कि यदि अमेरिका को पूर्णरूपेण सहायता नहीं की तो पाषाण युग में पहुँचा दिए जाओगे।
• 12 सितम्बर, 2001 से जनवरी 2002 तक सईद शेख पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से घूमता रहा।
• 13-15 सितम्बर, 2001 को अमेरिका ने पाकिस्तान को पुनः धमकी दी। पाकिस्तान पहले मानने के लिए तैयार हो गया और बाद में टालमटोल करता रहा।
● मध्य सितम्बर 2001 में अमेरिका तथा इजराइल ने एक गुप्त योजना तैयार की जिसके अनुसार पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की चोरी करना था, जिससे कि वे आतंकवादियों के हाथ न लग जाए।
• पाकिस्तान के आई. एस. आई. निदेशक लेफ्ट. जनरल महमूद अहमद ने 15- सितम्बर, 2001 को कहा कि पाकिस्तान को तालिबान की तरफ रहना चाहिए. उनकी सहायता करनी चाहिए लेकिन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अमेरिका की सहायता करना समय की आवश्यकता समझा।
• 7 अक्टूबर, 2001 को आई. एस. आई. निदेशक (पाकिस्तान) लेफ्टि. जनरल महमूद अहमद ने तालिबान लीडर मुल्ला उमर को सलाह दी कि अमेरिका की सेना से मुकाबला करो। ओसामा बिन लादेन को किसी भी सूरत में अमेरिका को मत सौंपो।
17 सितम्बर, 2001 को आई. एस. आई. निदेशक लेफ्टि. जनरल महमूद अहमद एक प्रतिनिधि मंडल के साथ, जिसमें 6 आदमी शामिल थे, कंधार में मुल्ला उमर से मिलने गए और उससे कहा कि या तो ओसामा बिन लादेन का प्रत्यावर्तन करें या अमेरिकी आक्रमण के लिए तैयार हो जाए। लेकिन आई. एस. आई. निदेशक ने उनसे कहा कि ओसामा बिन लादेन को अमेरिका को न साँप बल्कि संघर्ष की तैयारी करें।
• 24 सितम्बर, 2001 को अमेरिका ने अलकायदा के समर्थकों के बैंक एकाउंट बंद कर दिए जिससे आर्थिक अभाव में हथियार न खरीद पाएँ।
• सितम्बर से नवम्बर 2001 के बीच आई. एस. आई. गुप्त तरीके से तालिवान की सहायता करती रही, दूसरी तरफ अमेरिका के साथ मिलकर उन पर आक्रमण कराती रही।
• 30 सितम्बर, 2001 से 7 अक्टूबर, 2001 तक अमेरिकी सूचना तंत्र को पता चला कि हवाई जहाज के अपहरणकर्ताओं को पाकिस्तान से एक लाख डॉलर दिए गए थे।
• अक्टूबर, 2001 के प्रारंभ में पाकिस्तान के एयरबेस से अमेरिकी हवाई जहाजों ने उड़ान भरकर तालिबान पर आक्रमण किए।
• 1 अक्टूबर, 2001 में कश्मीर में आत्मघाती हमले में प्रांतीय विधान सभा पर आक्रमण किया जिसमें 36 व्यक्ति मारे गए। इस हमले के पीछे आई. एस. आई. का हाथ था।
• 7 अक्टूबर, 2001 को पाकिस्तान सरकार ने आई. एस. आई. निदेशक लेफ्टि. जनरल महमूद अहमद को अमेरिका के दबाव से इस पद से हटा दिया। उन पर आरोप था कि उन्होंने सईद शेख के माध्यम से 9/11 आक्रमण के लिए धन जुटाया गया।
• 2001 के अंत तक बुश प्रशासन पाकिस्तान में चलने वाले अधिक मदरसे, जो इस्लामिक शिक्षा देकर आतंकी पैदा कर रहे थे, उन्हें जो 10,000 से आर्थिक सहायता अन्य मुस्लिम देशों से मिल रही थी, उस आर्थिक सहायता को बंद कराने में असफल रहा।
• दिसम्बर 2001 तथा 2002 के प्रारंभ में पाकिस्तानी सरकार ने अलकायदा तथा तालिवान को आदिवासी क्षेत्रों में संगठित होने की इजाजत दे दी।
• दिसम्बर 2001 में सी. आई. ए. ने परमाणु वैज्ञानिकों की सांठ-गाँठ अलकायदा से होने की बात कही। जिसके लिए सी. आई. ए. निदेशक जॉर्ज टेनेट ने पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाया कि इन पाँच वैज्ञानिकों से पूछताछ की जाए जिनके नाम सी. आई. ए. ने उन्हें सुझाए थे। सुल्तान वशरुद्दीन महमूद, चौधरी अब्दुल मजीद ने अलकायदा से मिलकर बताया था कि परमाणु बम कैसे तैयार किया जाता है। मिजा यूसुफ वेग, जो पाकिस्तान एटोमिक एनर्जी कमीशन के सदस्य थे तथा हुमायूँ नियाज के भी सदस्य थे। इन्हीं के साथ दो वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के अलकायदा से सम्बन्ध होने के बारे में पूछताछ की गई लेकिन दो अन्य वैज्ञानिकों से पूछताछ संभव नहीं हो पाई। वे थे मोहम्मद अलीमुख्त्यार और सुलेमान असद। इन दोनों वैज्ञानिकों के सीधे सम्बन्ध ओसामा बिन लादेन से थे। जब पाकिस्तान से इन दोनों वैज्ञानिकों के बारे में पूछा गया तो पाकिस्तान सरकार ने कहा कि ये दोनों किसी खास योजना के लिए वर्मा गए हुए हैं जिन्हें पूछताछ के लिए यहाँ बुलाया जाना सम्भव नहीं है, अतः दोनों वैज्ञानिकों से सी. आई. ए. पूछताछ नहीं कर पाई।
• 7 दिसम्बर, 2001 को भारतीय पुलिस ने एक मुठभेड़ में उग्रवादी आसिफ रजा खान की हत्या कर दी जो सईद शेख के साथ अपहरण में शामिल था।
• 13 दिसम्बर, 2001 को आई. एस. आई. ने भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला करा कर विश्व में सनसनी फैला दी। इस्लामी उग्रवादियों ने भारतीय संसद पर आक्रमण किया जिसमें 14 व्यक्ति मारे गए। मारे जाने वालों में 5 उग्रवादी भी थे। भारत ने कहा कि संसद में आक्रमण करने वाले जैश-ए- मोहम्मद तथा लश्कर-ए-तैयबा उग्रवादी संगठन से सम्बन्ध रखते थे। इस आक्रमण के 12 दिन बाद मौलाना मसूद अजहर, जो जेश-ए-मोहम्मद का संचालक था, को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया लेकिन उसे एक वर्ष बाद छोड़ दिया गया। पाकिस्तान-भारत के बीच तनाव पैदा हुआ। इसी बीच 'तोराबोरा' क्षेत्र से अलकायदा तथा तालिबान के लड़ाकू पाकिस्तान में घुस आए। यह कहा गया कि सईद शेख तथा आफताब अंसारी ने आई. एस. आई. के साथ मिलकर इस योजना को क्रियान्वित किया।
• दिसम्बर, 2001 तथा जनवरी, 2002 के प्रारंभ में यूनुस कानूनी अफगानिस्तान मंत्री ने कहा कि ओसामा बिन लादेन तथा मुल्ला उमर को आई. एस. आई. ने अफगानिस्तान से सुरक्षित निकालकर पाकिस्तान पहुँचाने में मदद की।
• 20 दिसम्बर, 2001 को अमेरिका ने पाकिस्तानी उग्रवादी संगठनों पर पाबन्दी लगा दी, लेकिन वे आई. एस. आई. की मदद से ऑपरेशन चलाते रहे।
• सन् 2002 से 2006 के बीच पाकिस्तानी जर्नलिस्ट अहमद रशीद ने लिखा कि आई. एस. आई. जर्नलिस्ट का अपहरण करने के लिए उग्रवादी संगठनों का सहारा ले रही थी। नवम्बर, 2001 में जर्नलिस्ट क्रिस्टेना लेम्ब को पाकिस्तान से निष्कासित कर दिया गया।
• सन् 2002 के आरंभ में अमेरिकी सेना, अलकायदा की खोज में पाकिस्तान सरहद को पार नहीं कर सकती थी। पाकिस्तान कटिबद्ध था कि अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान में न घुसने दिया जाए। यह सलाह आई. एस. आई. द्वारा दी जा रही थी।
• 2002-2003 में सी. आई. ए. ने गुप्त तरीके से ओसामा बिन लादेन के कैम्पों को ध्वस्त करने की योजना बनाई लेकिन पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को सुरक्षा प्रदान की।
• 5 जनवरी, 2002 को एफ. वी. आई. गुप्तचर संस्था अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा कि हमें जैश-ए-मोहम्मद के नेता मौलाना मशूद अजहर को पकड़ने की इजाजत दी जाए। पाकिस्तान ने उसे 25 दिसम्बर, 2001 को गिरफ्तार कर लिया था, अतः एफ. वी. आई. उससे पूछताछ करना चाहती थी लेकिन पाकिस्तान सरकार ने क्यों नहीं पूछताछ कराई, इसकी कोई जानकारी नहीं है।
• 12 जनवरी, 2002 को पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अपने भाषण में उग्रवादियों को ललकारा तथा कहा कि इस्लामिक जेहाद बंद करें। यह भाषण उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय दबाव में दिया लेकिन जल्दी ही पुराने तरीके पर जिससे उग्रवादियों को मदद की जा सके, लौट आए। मुशर्रफ ने कश्मीर में उग्रवादियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा- कश्मीर हमारे खून में दौड़ता है।
• 12 मार्च, 2002 को पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आकर उग्रवादियों (पाकिस्तानी) को गिरफ्तार किया फिर उन्हें छोड़ दिया गया और कहा गया कि इन पर कोई अपराध तय नहीं किया जा सकता है। कोई सबूत नहीं है।
• 22 जनवरी, 2002 शईद शेख व आई. एस. आई. ने मिलकर कलकत्ता में स्थित अमेरिकन सूचना विभाग की बिल्डिंग पर गोलियाँ चलाकर आक्रमण कर दिया जिसमें चार पुलिसकर्मी मारे गये तथा 21 व्यक्ति घायल हुए तथा हमलावर भागने में सफल रहा।
• 23 जनवरी, 2002 को रिपोर्टर डेनियल पर्ल का अपहरण कर लिया गया और आई. एस. आई. ने इसकी जाँच-पड़ताल करनी शुरू कर दी।
• 28 जनवरी, 2002 अपहरणकर्ताओं ने डेनियल पर्ल को रिहा करने की कुछ शर्त रखीं जैसे पाकिस्तान बंदियों को अमेरिका से रिहा करो, अमेरिका पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान बेचे
• 31 जनवरी, 2002 को यह माना गया कि डेनियल पर्ल की हत्या सईद शेख के उग्रवादियों द्वारा कर दी गई।
• 6 फरवरी, 2002 को यह पक्का विश्वास अमेरिका को हो गया कि सईद शेख ही मास्टर माइंड है जो डेनियल पर्ल की हत्या तथा 9/11 हमले से सम्बन्धित है।
• 9 फरवरी, 2002 को पाकिस्तानी उग्रवादियों ने स्वीकार किया कि सईद शेख के सम्बन्ध आई. एस. आई. तथा आतंकवाद से हैं।
• 12 फरवरी, 2002 को जब पाकिस्तान पर अमेरिका का दबाव पड़ा तब आई. एस. आई. ने शेख सईद को, जो उनके कब्जे में था, पाकिस्तान पुलिस को सौंप दिया। उसके बाद सईद शेख ने डेनियल पर्ल के अपहरण एवं हत्या के अपराध को स्वीकार किया। उसे जुलाई 2002 को मृत्यु की सजा सुनाई गई। पाकिस्तान उग्रवादियों ने उसका बदला लेने के लिए तीन आत्मघाती हमले किए जिसमें 30 लोग मारे गए।
• 17 मार्च, 2002 को पाकिस्तान में धार्मिक स्थल क्रिश्चियन चर्च पर इस्लामाबाद में उग्रवादियों ने आक्रमण किया जिसमें 5 व्यक्ति मारे गए तथा 41 घायल हुए। लश्कर-ए-उमर ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
• 8 मई, 2002 को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कराची में 14 लोगों की हत्या कर दी, वे सभी फ्रांस के रहने वाले थे।
● जून 2002 में अमेरिका ने कहा कि अलकायदा के 3500 लड़ाकू पाकिस्तान के आदिवासी क्षेत्र में छिपे हुए हैं।
• 14 जून, 2002 को अमेरिकी सूचना विभाग कराची के बाहर बम ब्लास्ट हुआ जिसमें 12 पाकिस्तानी मारे गए तथा 45 घायल हुए।
• 16 जून, 2002 को अमेरिका ने कहा कि पाकिस्तान में आई. एस. आई. की मदद से अलकायदा अपने आपको संगठित कर रहा है।
• 2 जुलाई, 2002 को अलकायदा ने अपना स्थान पाक अधिकृत कश्मीर में बनाया, इसके लिए आई. एस. आई. मदद कर रही थी।
• 9 अक्टूबर, 2002 को ओसामा बिन लादेन ने अपने सन्देश में कहा कि वे परवेज मुशर्रफ को उखाड़ फेंकें। •
• 13 दिसम्बर, 2002 को अमेरिकी सरकार ने कुछ मुस्लिम देशों के लिए प्रत्यावर्तन नियम कठोर बनाए उनमें अफगानिस्तान, अलजीरिया, बेहरीन, इरिट्रिया, ईरान, इराक, लेबनान, लीबिया, मोरक्को, उत्तरी कोरिया, ओमान, कतर, सोमालिया, सूडान, सीरिया, तुनिसीया, संयुक्त अरब अमीरात या यमन। उपरोक्त देश के नागरिकों से कहा गया कि वे अमेरिका में अपने फोटो, फिंगर प्रिन्ट्स स्थानीय कार्यालय में जाकर सौंप दें।
• 14 दिसम्बर, 2002 को पाकिस्तान अदालत ने मौलाना मशूद अजहर को सभी जुर्मो से बरी कर दिया।
• दिसम्बर, 2002 से फरवरी 2003 तक पाकिस्तान ने अलकायदा तथा तालिवान को अपने प्रशिक्षण केन्द्र चलाने की अनुमति दे दी।
• 31 जुलाई, 2003 को एफ. वी. आई. (अमेरिका) ने घोषणा की कि 9/11 के आक्रमण के लिए धन पाकिस्तान ने जुटाया था।
• 28 सितम्बर 2003 को आतंकी सरगना अलजवाहिरी ने घोषणा की कि पाकिस्तान की सरकार को परवेज मुशर्रफ सहित उखाड़ फेंको।
• 14 दिसम्बर व 25 दिसम्बर 2003 को पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर अलकायदा ने बम फेंक कर हमला किया लेकिन वे इन दोनों घटनाओं में बचने में सफल रहे।
● मार्च, 2004 में अलकायदा ने वजीरिस्तान, जो पाकिस्तानी आदिवासी क्षेत्र है, में अपना अधिवेशन किया।
• 22 अप्रैल, 2005 को परवेज मुशर्रफ ने कहा कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान सीमा के पास छिपा हुआ है।
• 18 जून, 2005 को अमेरिकी राजदूत ने पाकिस्तान की आलोचना की कि जब तालिवान लीडर मुल्ला अखतर उस्मानी पाक टेलीविजन पर भाषण दे रहा था तो उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। मुल्ला अखतर उस्मानी ने साक्षात्कार में कहा था कि ओसामा बिन लादेन का स्वास्थ्य सही है तथा मुल्ला उमर तालिवान की कमांड संभाले हुए है।
• 23 जुलाई, 2005 को कहा गया कि 7/7 लंदन के बम विस्फोट में अलकायदा का हाथ था।
• 10 सितम्बर, 2005 को शईद शेख को 7/7 लंदन बम ब्लास्ट में अपराधी माना गया, उन दिनों वह पाकिस्तान की जेल में बंद था।
• 2006 में तालिबान ने वजीरिस्तान पर कब्जा कर वहाँ के स्थानीय विरोधियों की (120 से अधिक) व्यक्तियों की हत्या कर दी
• 2 मई, 2006 तालिवान लीडर ने कहा कि पाकिस्तान सरकार की सहायता से पाक सीमा के पास शहरों में तालिवान खुले रूप में रह रहे हैं।
• 9 जुलाई, 2006 - अमेरिका, नाटो, अफगान रिपोर्ट में कहा गया कि तालिवान को प्रशिक्षण में जो खर्च हो रहा है, वह आई. एस. आई. वहन कर रही है। लेकिन अमेरिका ने कुछ नहीं किया।
• 5 सितम्बर, 2006 को पाकिस्तान सरकार ने अलकायदा व तालिबान को उत्तर वजीरिस्तान (पाकिस्तान) में उन्हें सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराया जोकि आदिवासी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में ओसामा बिन लादेन व अयमन, अल जवाहिरी को छिपने का सुरक्षित स्थान मिल गया पाकिस्तान व अलकायदा के मध्य एक अनुबंध हुआ जिसके अनुसार पाकिस्तान सेना एवं विद्रोहियों के बीच युद्ध समाप्त हो गया। पाकिस्तान ने वजीरिस्तान पर आक्रमण न करने की स्वीकृति दे दी तथा उग्रवादी अफगानिस्तान से बाहर आक्रमण नहीं करेंगे। इस अनुबंध में यह भी कहा गया कि विदेशी जेहादी पाकिस्तान से बाहर बसे जाएँगे और जो विदेशी जेहादी पाकिस्तान में रहना चाहेंगे उन्हें शांतिपूर्वक पाकिस्तान के कानून का सम्मान करना होगा पाकिस्तान सीमा पर लगी सुरक्षा 1 चौकी से विद्रोही तथा पाक सेना दूर हट जाएगी। कोई समानान्तर सरकार नहीं चलेगी, केवल पाक सेना का नियंत्रण होगा।
• 7 सितम्बर, 2006 को अमेरिकी प्रशासन ने पाकिस्तान एवं अल्कायदा तथा तालिबान के बीच हुए अनुबंध को अपनी स्वीकृति प्रदान की।
• 12 सितम्बर, 2006 को पाकिस्तानी जर्नलिस्ट अमीर मीन ने कहा कि तालिवान लीडर क्वेटा में छिपे हैं। मुल्ला उमर आई. एस. आई. के संरक्षण में क्वेटा में अपना अड्डा बनाए हुए हैं।
• 21 सितम्बर, 2006 को 'नाटो' कमांडर ने माना कि तालिवान का मुख्यालय पाकिस्तान सीमा के साथ लगे टाउन में स्थित है।
• 28 सितम्बर, 2006 को बी. बी. सी. ने एक रिपोर्ट दी जो ब्रिटिश सुरक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने पाकिस्तान के बारे में अपनी सरकार को दी। इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान अपनी जगह स्थिर नहीं है। पाकिस्तान अपनी गुप्तचर संस्था आई. एस. आई. द्वारा अफगानिस्तान में आतंकवाद फैला रहा है। आई. एस. आई. इराक तथा 7/7 लंदन बम ब्लास्ट के आतंक में शामिल है। पाकिस्तान अप्रत्यक्ष रूप से अलकायदा को संरक्षण प्रदान कर रहा है। अमेरिका तथा ब्रिटेन तब तक आतंकवाद पर काबू नहीं पा सकते जब तक वे वास्तविक शत्रु की पहचान नहीं कर लेते। इसके लिए पाकिस्तान से सैन्य शासन को हटाना होगा तथा आई. एस. आई. पर प्रतिबंध की आवश्यकता है। अमेरिका तथा ब्रिटेन को पाकिस्तान की आर्थिक मदद बंद कर देनी चाहिए।
• 9 मार्च, 2007 इफ्तखार चौधरी, जो पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस थे, पर पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार करा दिया। उन पर भ्रष्टाचार तथा न्यायपालिका का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया। उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया।
• जून 2005 में इफ्तखार चौधरी को परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय पाकिस्तान में सैन्यशासन का विरोध कर रही थी। इफ्तखार चौधरी भी न्यायपालिका से अलग नहीं जा सकते थे। पाकिस्तान में जून 2007 में चुनाव होने थे। अतः ज्यों-ज्यों चुनाव के दिन निकट आते गए, इफ्तखार चौधरी का रुख पाकिस्तान में कानून का राज्य सुरक्षित रखने के प्रति कड़ा होता गया। सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस अत्याचार, बलात्कार के प्रति कड़ा रुख अपनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आई. एस. आई. द्वारा जो सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस रखा है उन्हें अदालत के सामने अपना पक्ष रखने के लिए सरकार क्यों नहीं कह रही है। आई. एस. आई. ने गलत तरीके से 200 लोगों को 2006 के अंत में छोड़ दिया। परवेज मुशर्रफ का कहना था कि चौधरी पाकिस्तान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि इसका तालिबान से सम्बन्ध है। परवेज मुशर्रफ सोचते थे कि न्यायपालिका उसके राष्ट्रपति बनने में रोड़ा अटका सकती है, अतः उनकी गिरफ्तारी के आदेश देकर 9 मार्च, 2007 को उन्हें निलम्बित कर दिया। चौधरी के निलम्बन पर पाकिस्तान में हड़ताल धरने शुरू हो गए। पाकिस्तान सरकार ने आन्दोलनकारियों की धरपकड़ शुरू कर दी। अखबारों, टेलीविजन पर सेंसरशिप लगा दी गई। 20 जुलाई, 2007 को पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय ने इफ्तखार चौधरी को उनके पद पर बहाल कर दिया।
• 4 जून, 2007 को पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने चेतावनी दी कि उग्रवादी पाकिस्तान के लिए खतरा बन रहे हैं।
• 3 जुलाई से 11 जुलाई 2007 तक पाक सेना द्वारा लाल मस्जिद में ऑपरेशन चलाया गया जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए। लाल मस्जिद इस्लामाबाद आतंकवादियों का गढ़ बन चुकी थी। लाल मस्जिद राष्ट्रपति निवास से 2 किलोमीटर दूर तथा आई. एस. आई. मुख्यालय के समीप स्थित है। लाल मस्जिद पर विगत कई वर्षों से आई. एस. आई. का कब्जा था। इस मस्जिद के अंदर अनाथ तथा उनके रिश्तेदार जो आत्मघाती हमले में कश्मीर में अपनी जान गंवा चुके थे, रह रहे थे। आई. एस. आई. कई वर्षों से कश्मीर में अपना जाल फैलाने में सफल रही थी। इस मस्जिद को चलाने में दो मुख्य भाइयों का हाथ था। वे थे मौलाना अब्दुल रशीद गाजी तथा मौलाना अब्दुल अजीज गाजी, जिनका लम्बे समय से पाकिस्तान आई. एस. आई. से सम्बन्ध था। वे अपने आपको सरकार से सम्बन्ध रखने के कारण सुरक्षित समझते थे। गाजी भाइयों ने मस्जिद के लिए मदरसा चलाने हेतु अतिरिक्त भूमि पर कब्जा करना शुरू कर दिया जो लाल मस्जिद के निकट थी यह आतंकवादियों का गढ़ बन गई जहाँ हजारों आतंकवादी हथियार सहित आकर रहने लगे। अप्रैल, 2007 में गाजी भाइयों ने सरकार को धमकी दी कि अगर पाकिस्तान में 'शरीयत कानून' लागू नहीं किया तो गृहयुद्ध छिड़ जाएगा। मस्जिद में रहने वाले उग्रवादी आई. एस. आई. से बेकाबू हो गए थे, उन पर आई. एस. आई. का कोई दबाव काम नहीं कर रहा था। पाकिस्तान सेना ने मस्जिद को घेर लिया जिसमें 10,000 विद्यार्थी तथा उग्रवादी जमा थे। उग्रवादियों ने मस्जिद के अंदर अवरोध खड़े किए। संकट उस समय खड़ा हुआ जब जून के अंतिम सप्ताह 2007 में लाल मस्जिद में रहने वाले उग्रवादियों ने चौकी की 6 महिलाओं एवं तीन आदमियों का अपहरण पास में चलने वाले क्लीनिक से यह कहकर कर लिया कि यहाँ पर वेश्यालय चलाया जा रहा है और हम इनको तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक इनको सबक नहीं सिखा देंगे। 3 जुलाई, 2007 को सेना और उग्रवादियों के मध्य झड़प हो गई। हजारों की संख्या में उग्रवादियों ने सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया लेकिन बार-बार चेतावनी के बाद जब उग्रवादी उन महिलाओं और चीनी पुरुषों को नहीं छोड़ रहे थे तो पाक सेना ने लाल मस्जिद पर आक्रमण कर दिया। मौलाना अब्दुल रशीद गाजी मारा गया तथा मौलाना अब्दुल अजीज गाजी गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह एक औरत का वेश बनाकर भागने का प्रयास कर रहा था। पाक सरकार के अनुसार 102 उग्रवादी तथा 10 सिपाही मारे गए। जबकि उग्रवादियों का कहना था कि सैकड़ों की संख्या में लोग मारे गए। अलकायदा मस्जिद में छिपे उग्रवादियों को सहयोग दे रहा था।
• 11 जुलाई, 2007 को अल जवाहिरी ने पाक सेना द्वारा लाल मस्जिद पर किए गए आक्रमण के विरोध में पाकिस्तान में बगावत की घोषणा कर दी। साथ ही सेना ने भी आक्रमण की घोषणा कर दी।
• 19 जुलाई, 2007 को पाक सेना ने अलकायदा के सुरक्षित स्थान वजीरिस्तान पर आक्रमण कर दिया।
• 30 अगस्त, 2007 को पाकिस्तान उग्रवादी चेतुल्लाह मशूद ने पाक सेना के 300 जवानों की घेराबंदी की और अपने 28 साथियों को पाक जेल से रिहा करने की माँग रखी।
• 20 सितम्बर, 2007 को ओसामा बिन लादेन ने परवेज मुशर्रफ को उखाड़ फेंकने की घोषणा की।
• 6 अक्टूबर, 2007 को परवेज मुशर्रफ पुनः पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए। इस चुनाव में उन्हें 57 प्रतिशत मत मिले।
• 19 अक्टूबर, 2007 को बेनजीर भुट्टो लम्बा निर्वासित जीवन व्यतीत करने के बाद पाकिस्तान वापस लौटीं। उन पर आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 139 आदमी मर गए लेकिन बेनजीर भुट्टो बच गई।
• 3 नवम्बर, 2007 को परवेज मुशर्रफ ने आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी।
• 24 नवम्बर, 2007 को पाकिस्तानी उग्रवादियों ने आई. एस. आई. तथा सेना पर आक्रमण कर रावलपिंडी में 31 व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया, जिसमें 28 आई. एस. आई. अधिकारी मारे गए।
• 27 अप्रैल, 2008 को अफगानिस्तान राष्ट्रपति हामिद करजई पर गोली चलाकर जानलेवा हमला किया गया जिसमें वे सुरक्षित बच गए। इस आक्रमण की बदनामी आई. एस. आई. को मिली।
• 21 जुलाई, 2008 को पाक सेना तथा तालिवान व अलकायदा उग्रवादियों के बीच बलूचिस्तान में कड़ा संघर्ष हुआ जिसमें 32 उग्रवादी, 9 पाक सैनिक, 2 आम नागरिक मारे गए।
• 28 जुलाई से 4 अगस्त, 2008 के बीच उत्तर-पश्चिमी स्वात घाटी में पाक सेना व अलकायदा के उग्रवादियों के बीच संघर्ष हुआ जिसमें 94 आतंकी, 22 पाक सैनिक तथा 28 अन्य आम नागरिक मारे गए।
• 21 अगस्त, 2008 को बाजोर की घटना के बाद दो आत्मघाती बम हमले हुए। ये आत्मघाती हमले पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्टरी 'वाह' के मुख्य द्वार पर हुए जिसमें 70 आदमी मारे गए तथा 100 से अधिक घायल हुए।
• सितम्बर, 2008 के प्रारंभ में आदिवासी क्षेत्र वजीरिस्तान में 30,000 आदिवासियों ने अपना समूह बनाकर तालिवान लडाकुओं के विरुद्ध युद्ध का बिगुल बजा दिया।
• 23 सितम्बर, 2008 को पाक सेना ने हेलिकॉप्टर तथा आर्टीलरी की सहायता से पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत 60 उग्रवादियों को मार गिराया।
• 19 अक्टूबर, 2008 को तालिवान ने पाक सेना के चार ट्रक जिसमें हथियार बारूद आदि थे। अपने कब्जे में ले लिए। इस संघर्ष में 35 सैनिक मारे गए।
• 8 दिसम्बर, 2008 तालिबान उग्रवादियों ने अमेरिकी सेना के 160 व्हीकल, जो अफगानिस्तान में कार्यरत थे, आग के हवाले कर दिए।
• 1 मार्च, 2009 को पाक सेना ने 'बाजोर' क्षेत्र में 6 माह तक ऑपरेशन चलने के बाद 1,500 उग्रवादी मार गिराए।
• 9 अक्टूबर, 2009 को पेशावर के बाजार में तालिबान ने एक बम विस्फोट किया जिसमें 58 लोग मारे गए तथा 100 से अधिक घायल हुए।
• 15 अक्टूबर, 2009 को 5 उग्रवादियों ने पुलिसबल पर गोली चलाकर 41 आदमियों को मार गिराया। इसमें 10 आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए।
• 7 दिसम्बर, 2009 को एक आत्मघाती विस्फोट में 10 लोगों की मौत हो गई।
• 14 नवम्बर, 2007 को पाकिस्तान सैन्य उच्चाधिकारी ने सूचना विभाग को बताया कि 28 आत्मघाती बम हमलों में मरने वालों की संख्या 600 पाक सुरक्षाकर्मी तथा 1300 आम नागरिक शामिल हैं। यह भी बताया कि सन् 2001 से 14 नवम्बर, 2007 तक 966 पाक सैनिक, 488 विदेशी उग्रवादी उग्रवाद की भेंट चढ़ गए तथा 24 उग्रवादी पकड़े गए। घायलों की संख्या आम नागरिक 2259 तथा 324 विदेशी उग्रवादी घायल हुए।
• 10 सितम्बर, 2009 को पाक सेना ने बताया कि 2001 से लेकर आज तक 1,900 पाक सैनिक उग्रवादी मुठभेड़ में मारे गए।
पुस्तक महंगी हे इस लिए पुस्तकालय से लाके, वांचन गुजरात अभियान के तहत यह पाठ का विवरण गूगल सॉफ्ट की सहायतासे , पाना नंबर 68 से 83 कॉपी पेस्ट किया हे। 1979 से दिसंबर 2009 तक की तवारीख की माहिती संकलित किया श्री R P Sinh की पुस्तक "पाकिस्तान चीन सम्बन्ध और भारत" के "पाकिस्तान आतंक वादी का गढ़" प्रकरण से किया है।
भूल चूक लेनिदेनी