Monday, 20 November 2023

અષા એટલે સત્ય

કેસ્પિયન સમુદ્ર એ વિશ્વનો સૌથી મોટો આંતરદેશીય પાણી છે. તે એશિયા અને યુરોપ વચ્ચે આવેલું મીઠું ખારું તળાવ છે. કેસ્પિયન સમુદ્ર વોલ્ગા નદી દ્વારા પોષાય છે અને અઝરબૈજાન, ઈરાન, કઝાકિસ્તાન, રશિયા, તુર્કીની સરહદો ધરાવે છે. કદ: કેસ્પિયન સમુદ્રનો વિસ્તાર 149,200 ચોરસ માઇલ (386,400 ચોરસ કિમી) છે. તે 750 mi (1,200 km) લાંબુ અને 200 mi (320 km) પહોળું છે. 

કેસ્પિયન સમુદ્રના અન્ય ઘણા નામો છે જેમ કે: હિર્કેનિયમ, મોર્ગન, ફિલિપ, વિલિયમ, જેક્સન, ડર્ન, ખ્વાલિન્સ્ક, આસ્ટ્રાખાન, સરાઈ, ડ્રા-અકફોઉ (બડકૌબેહ સમુદ્ર.) 

મારી જાત એવી વ્યક્તિ સાથે જોડાયેલી છે કે જેણે ઘણી વખત સ્પેનની મુલાકાત લીધી હતી પરંતુ અદ્રશ્ય મિત્રો સાથે વધુ જોડાયેલ છે. 
ભગવાન જર્થુષ્ટ્ર આ મહાસાગર સાથે નાનો પણ મોટો એપિસોડ ધરાવે છે. 
લોકો એલિયન્સના જીવન સાથે UFO વિગતો શોધી રહ્યા છે પરંતુ દરેક જગ્યાએ વૃક્ષો ઉગાડવાનો ઇનકાર કર્યો છે...

English Translation 

The Caspian Sea is the world's largest inland body of water. It's a salt lake that's located between Asia and Europe. The Caspian Sea is fed by the Volga River and borders Azerbaijan, Iran, Kazakhstan, Russia, Turkey.

Size: The Caspian Sea has an area of 149,200 sq mi (386,400 sq km). It's 750 mi (1,200 km) long and up to 200 mi (320 km) wide.

The Caspian Sea has many other names like as:

Hirkanium,  
Morgan,  
Philip,  
William,  
Jackson,  
Dern,  
Khvalinsk,  
Astrakhan,  
Saraie,  
Dra-Akfou (Badkoubeh Sea.)

My self is attached with person who visited Spain several times but more attached with invisible friends..

God Jarthushtra having small but big episode with this ocean..

People are finding UFO details with aliens life but denied to grow trees everywhere...

Translation completed..

पारसी धर्म में एक ही ईश्वर की उपासना की जाती है। 'अवेस्ता' पारसी समाज का पवित्र धार्मिक ग्रन्थ है। कहा जाता है कि- मूल अवेस्ता ग्रन्थ में २० लाख पंक्तियाँ थीं, किन्तु बाद में उसका बहुत सा अंश विलुप्त हो गया। आज अवेस्ता के जो अंश यदा-कदा दुर्लभ रूप से कहीं देखने को मिल जाते हैं वह इस प्रकार हैं- १. यस्न (पूर्व-यस्न, मध्य-यस्न, उत्तर- यस्न), २. वीस्परत्, ३. यश्त, ४. वेंदीदाद, ५. अवशिष्ट अवेस्ता-अंश, ६. खुर्दह् अवेस्ता । इनमें भी ( सम्पूर्ण अवेस्ता ग्रन्थ में) गाथाएँ सबसे प्राचीन मानी जाती हैं। मान्यता है कि पारसी धर्म के संस्थापक महर्षि (प्रभु) जरथुश्त्र के मुख से उच्चरित पवित्र वाणियों का उनमें संकलन है। अन्य यस्न और अवेस्ता के दूसरे भाग बाद के हैं।

महर्षि जरथुश्त्र -

श्री कृष्णदत्त भट्ट की पुस्तक 'पारसी धर्म क्या कहता है ?' के अनुसार- ईसा से लगभग ६०० वर्ष पहले पूर्वी ईरान और कास्पियन समुद्र के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में 'माडिया' नाम की एक जाति रहती थी। उसी के 'मगी' नामक गोत्र में, पुरोहितों के वंश में महर्षि जरथुश्त्र का जन्म हुआ । इनके वंश का नाम 'स्पितमा' था, जिसका अर्थ 'ज्योतिर्मय' होता है। इनके पिता का नाम पौरुशास्प था । जरथुश्त्र के जन्मस्थान और जन्मकाल दोनों के बारे में विद्वानों में मतभेद है। उनके जीवन के आरंभिक ३० वर्षों का पूर्ण विवरण भी अनुपलब्ध है।

महर्षि जरथुश्त्र पवित्र द्रोण पर्वत पर ध्यानमग्न रहा करते थे। एक दिन उनकी साधना फलीभूत हुई और उन्हें ईश्वर के साक्षात् दर्शन प्राप्त हुए। उनके मुख से पवित्र गाथा फूट पड़ी। इस समय महर्षि की आयु तीस (३०) वर्ष के आस-पास थी। 

उन्होंने ईश्वर को 'होरमज्द' की संज्ञा दी।

गाथाओं में संत जरथुश्त्र की पवित्र भावनाएँ भरी पड़ी हैं। उन्हें सत्य का जो दर्शन हुआ, उसे वे जन-जन तक पहुँचाने में लग गए। प्रारंभिक दस-बारह वर्षों तक उनके उपदेशों का कोई विशेष प्रभाव जन-मानस पर नहीं पड़ा। किन्तु जब पूर्वी ईरान के बैक्ट्रिया राज्य के राजा 'वीश्तास्प' के दरबार में जाकर उन्होंने अपना संदेश सुनाया तो राजा उनसे अत्यधिक प्रभावित हुआ। होरमज्द (ईश्वर) तथा अषा (सत्य) आदि की बातों का गहरा प्रभाव राजा के मन-मस्तिष्क पर पड़ा और उसने महर्षि जरथुश्त्र की वाणी को देश-विदेश में पहुँचाने की भरचक चेष्टा की।

सत्तहत्तर (७७) वर्ष की आयु में महर्षि जरथुश्त्र बलख में मन्दिर की वेदी पर प्रार्थना कर रहे थे, तभी उनके विरोधियों ने उन पर हमला कर दिया। वे लोग उनकी हत्या पर तुल गये थे। मृत्यु समय उनके शब्द:

होरमज्द तुम्हें क्षमा करें, जैसे मैं तुम्हें क्षमा करता हूँ !' 

और यह कहते हुए महान संत महर्षि जरथुर ने प्रसन्नतापूर्वक अपने प्राणों का बलिदान कर दिया।

पारसी समाज के दो मुख्य पुस्तक 

जैन्द अवेस्ता ( जरथुश्त्र की गाथाएँ) 
और 
खोरडेह अवेस्ता

इति पूर्ण ब्रह्मणे नमो नम:  
जय गुरुदेव दत्तात्रेय  
जय हिंद  
જીગર ગૌરાંગભાઈ મહેતાના પ્રણામ  
Jigaram Jaigishya is a jigar:  
इति शम

Sunday, 19 November 2023

skill without deegree & morfogenetic field

आदित्य ह्रदय स्तोत्र में आता है शब्द, ...  
... कांतारेषु भयेशु च...  
यानी जो आदित्य बहता हुआ यानी जीवित हे उससे डरो।  
कांत शब्द प्रचलित हे, जिसे पति, नाथ शब्द समानार्थी से जोडा हे। रेषु में रे यानी पानी, water कि तरह बहता हुआ और षु यानी छोटा लेकिन सत्य की तरह कभी समाप्त न होने वाले सूर्य की बात यानी अग्नि। अग्नि हमेशा उपर ही जायेगी।  
કાંતારા યાની આ છે રાજા નો રાજા, નિર્દેશન રુપે કહેલ છે...  
આથી જ અંગ્રેજોએ માત્ર ગાંધીની અહિંસા ચળવળ બાદ બીજા ઘણા બધા દેશોને એમનેમ જ આઝાદ કરી કાઢ્યા હતા
All jungli animals have Cristal eyes at night/darkness so only attached or compared with human darker sides mind concept.. they're having knowledge about food & surviving at any cost.  
So pet dogs, cats or animal after birth mostly trying to learn fight skill by morfogenetic field  
जय गुरुदेव दत्तात्रेय  
जय हिंद  
જીગર ગૌરાંગભાઈ મહેતાના પ્રણામ

Friday, 10 November 2023

Shambhaalaa and Guge City

Tibetan two cities name
1 Shambhaalaa
2 Guge 

Veda's Sanskrut has two words..
1 Rules of Arini
2 Iti Sham

Here I remember the holywood film The One, the main lead role played by Mr Jet Lee and climax scene is superb 

On the top of that piramid type table, the man always fights with others for maintaining his top situation.. that is Arini Rules..

Few temples has not covered round cubes on top and few has only flat areas only instead of round cubes, even without Flag, that's shambhaalaa..

Guge City story is unique.. more than 1 lakh people disappeared from that City some how.. and here at Ahmedabad I cried for my few street dogs friends whichever are not appearing since long... Even Dead bodies are also not found...

HiDeSign 
Well deewalee is running..
Today Dhanteras.. so
Happy Moments
Jay Gurudev Dattatreya
Jay HIND
Jigaram Jaigishya is a jigar:
જીગર ગૌરાંગભાઈ મહેતાના પ્રણામ

ધનતેરસ.
અગ્નિ ના જાણકાર,
એી સાથે જુઓ.

જડીબુટ્ટી જ
શાતા આપે છે જુઓ.
એ જરાગ્નીને?

ધંત ઈર સ!!!
કાળી ચૌદસે મેશ,
આંખે અંજન!!!

કલિચૌદસે 
આંજ્યા, કોઈના ના 
જાય ગાંજ્યા ..

આંખો ની મેશ
બે કાલામાં સફેદ
બચત છે જ..

શ્વેતમ ને દિક
ચિદાકાશે ચંદર
અમાસ બાજુ..

નથી વધારે કશું આ શબ્દોમાં પણ આશ્કા વિશે
મારા તો અગ્નિ ની ઝાળ ને પણ દૂરથી પ્રણામ સારા ...

જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય
જય હિંદ
જીગર ગૌરાંગભાઈ મહેતાના પ્રણામ
જીગર ગૌરાંગભાઈ મહેતાના પ્રણામ